गुरू कृपा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी ।
1. गुरू जिस धरा पर अवतरित होते है
वहाँ आनंदचैन वास लेता है ।
वहां के सब तामसिक दोष समाप्त हो जाते हैं ।
2. जिस जगह गुरू खुशी वास प्रवास करते उस जगह देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।
3. गुरूदेव को निहारने , गुरू की फ़ोटो चित्र दर्शन करने से ; मन मे घंटीयां बजने लग जाती है आरती होती है तो समझो प्रनाम स्वीकार हो गया
4. जो व्यक्ति गुरू की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गुरू हर लेते है ।
5. गुरू के चरणो मे स्वर्ग होता है । जहां गुरू देव विचरण करते है उस जगह वास करने से तामसिकता का दमन होता है।
6. गुरू में (लक्ष्मी सरस्वती दुर्गा ) सभी सक्तियो का वास होता है ।
7. गुरू में सुर्य ,चन्द्र देवलोक पुर्ण सृष्टि का वास
तेज़ होता है ।
8. गुरू मंत्र मे वो शक्ति है जो कुडंलिनी जागरित कर रोगों को दूर कर शिष्य का कल्याण करता है।
9. गुरू मे ब्रह्म चेतना का वास होता है । किसी व्यक्ति को कुछ भी हो जाये तो गुरू से प्रार्थना कर लेने से सभी दोष दूर हो जाते। है ।
10. गुरू का रोजाना सुबह शाम ध्यान करने से तीनों ताप। रोग दोष का नाश होता है ।
11. गुरू के मंत्र जाप से सभी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।कही जाना नहीं पड़ता ।
12. गुरू मंत्र हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।
13. जिस व्यक्ति का भाग्य सोया हुआ हो ,दुर्भाग्य से घिरा हो तो गुरू कृपा से उस व्यक्ति की सोई हुई भाग्य खुल जाती है ।
14. गुरू की सेवा से चरणों मे समर्पण से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।
15.गुरू ही महान विद्वान धर्म रक्षक ईश्वर का रूप अवतार होते है ।
16. गुरू की सेवा , मोक्ष के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं ।
17.गुरू मंत्र सुमिरण से जन्म जन्मानतर के कर्म पाप कष्ट कट जाते है ।
18. समर्थ गुरू विरला एक काल खंड में एक ही होते है ।
19. गुरू अगर स्वप्न में भी वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखते है उनके ऊपर गुरू कृपा हो जाती है ।
20. गुरू मंत्र का जाप करने से नौ ग्रह शांत रहते
हैं । जो ध्यान के साथ करता है उनको शत्रु दोषों भी से छुटकारा मिलता है ।
21. गुरू एक चलता फिरता मंदिर है । हमारे सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी देवता है ,
हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गुरू के दर्शन हृदय कमल / आज्ञा चक्र भृकुटि पर ध्यान लगाकर वहाँ से गुरू का ब्रह्म स्वरूप में सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं ।
22. कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो बार बार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गुरू को कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा !
23. गुरू सर्व सुखों की दातार है ।
हे गुरूदेव आप अनंत ! आपके गुण अनंत ! इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके गुणों का बखान कर सकूं ।
।।जय गुरूदेव जी ।।
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Brajmohan
Friday, February 21, 2020